Wednesday, January 30, 2008

भाजपा को फिक्र उत्तर प्रदेश की...

लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रही भाजपा की नजर उत्तर प्रदेश पर है. पार्टी नेता महसूस कर रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में सीटें नहीं बढ़ी तो दिल्ली दूर ही रहेगी.

उत्तर प्रदेश में पार्टी के पास न तो नेता हैं, न तो मुद्दा. ऐसे में सबकी नजर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर है. मोदी को राज्य के गोरखपुर से पार्टी के चुनाव अभियान में उतारा जाएगा.

भाजपा उत्तर प्रदेश में चार बड़ी रैलियां कर रही है. पहली रामपुर में 10 फरवरी को होगी. इसे लालकृष्ण आडवाणी और राजनाथ सिंह संबोधित करेंगे. 24 फरवरी को वाराणसी और 5 मार्च को लखनऊ में रैली होगी. गोरखपुर रैली की तारीख अभी तय नहीं हुई है.

उत्तर प्रदेश में भाजपा सपा और बसपा की जातीय राजनीति में फंस गई है. उसके सामने अपने ब्राह्मण, बनिया और गैर यादव पिछड़े वोट को लाने की है.

अटल बिहारी वाजपेयी की कमी और कल्याण सिंह के निष्प्रभावी होने से ऐसा कोई नेता नहीं है जिसके ईर्द-गिर्द इन जातियों को एक किया जा सके.

ऐसे में भाजपा के लिए गुंजाइश तभी बनती है जब हिंदुत्व का मुद्दा उभरे और चुनाव में जातीय आग्रह कम हो. इसके लिए पार्टी आतंकवाद को हिंदुत्व के मुद्दे से जोड़कर अभियान चलाना चाहती है और इसका नेतृत्व मोदी से कराने की तैयारी कर रही है.

इसके साथ ही भाजपा राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन के लिए नए साथियों की तलाश कर रही है. नरेंद्र मोदी और अन्नाद्रमुक नेता जयललिता की इस बारे में लंबी बात हुई है. बातचीत सही दिशा में चली तो जयललिता कर्नाटक विधानसभा के चुनाव में भाजपा के लिए प्रचार कर सकती हैं.

झारखंड में बाबूलाल मरांडी की भाजपा में वापसी किसी भी दिन हो सकती है. हरियाणा में ओमप्रकाश चौटाला साथ आने के लिए तैयार हैं. उत्तर प्रदेश के अलावा पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश भाजपा के लिए समस्या वाले प्रदेश हैं.

आंध्र में पार्टी को उम्मीद है कि चुनाव के बाद चंद्रबाबू नायडू के सामने भाजपा के साथ आने के अलावा ज्यादा विकल्प नहीं होंगे. क्योंकि चुनाव बाद वह वामदलों के साथ कांग्रेस को समर्थन नहीं दे सकते.

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